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Maa Pitambara Pragya Peeth
मंदिर का इतिहास

Maa Baglamukhi Temple (Maa Pitambara Pragya Peeth)

उत्तर प्रदेश की पावन नगरी मथुरा के बीचों बीच स्थित मां पीतांबरा प्रज्ञा पीठ की स्थापना सम्वत २०६१ (वर्ष २००४) में चैत्र मास,शुक्ल पक्ष, प्रतिप्रदा तिथि को हुई थी |

परम पूज्य सदगुरु महाराज श्री पुरुषोत्तम दास याज्ञवल्क्य जी की कई वर्षों की घोर साधना के फलस्वरूप उन्हें मां पीतांबरा जी का साक्षात्कार हुआ। सदगुरु महाराज यंत्र, मंत्र एवम तंत्र के विशेष साधक थे। अतः मां पीतांबरा के आज्ञानुसार सदगुरु महाराज द्वारा तांत्रिक व वैदिक विधि से इस तपोस्थली की स्थापना हुई।

यह मंदिर एक ऐसा शक्तिपीठ है जो आपको प्रथम दर्शन से एक अलग आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।

 इस मंदिर पर श्री गिरिराज गोवर्धन की एक ऐसी कुदरती प्रतिमा है जो  स्वयं परमपूज्य सदगुरु महाराज को गिरिराज गोवर्धन क्षेत्र से प्राप्त हुई थी | इसके साथ साथ आपको मंदिर प्रांगण में मां कालिका , मां दुर्गा, हनुमान जी एवं आनंद भैरव जी के भी दर्शन प्राप्त होते है |

 वर्तमान समय में शिष्यों द्वारा मंदिर की सेवा पूजा सदगुरु महाराज श्री दिवाकर याज्ञवल्क्य जी के मार्गदर्शन में की जा रही है |

 मंदिर पर होने वाले विशेष आयोजन जैसे चैत्र नवरात्रि, अश्विन नवरात्रि, गुप्त नवरात्रि, शिव रात्रि, गुरु पूर्णिमा आदि महापर्वो का आयोजन सभी भक्त बड़े हर्ष उल्लास से करते है, साथ ही विगत १५ वर्षो से प्रतिवर्ष नववर्ष का स्वागत श्री रामचरित मानस के अखंड पाठ से किया जाता है |

परम पूज्य सदगुरु महाराज
श्री पुरुषोत्तम दास याज्ञवल्क्य जी

बगलामुखी शक्ति की आराधना करने से साधक के शत्रुओं का शमन तथा कष्टों का निवारण होता है। यों तो बगलामुखी देवी की उपासना सभी कार्यों में सफलता प्रदान करती है, परंतु विशेष रूप से युद्ध, विवाद,शास्त्रार्थ, मुकदमे, और प्रतियोगिता में विजय प्राप्त करने, अधिकारी या मालिक को अनुकूल करने, अपने ऊपर हो रहे अकारण अत्याचार से बचने और किसी को सबक सिखाने के लिए बगलामुखी देवी का वैदिक अनुष्ठान या तांत्रिक अनुष्ठान सर्वश्रेष्ठ, प्रभावी एवं उपयुक्त होता है। असाध्य रोगों से छुटकारा पाने, बंधनमुक्त होने, संकट से उद्धार पाने और नवग्रहों के दोष से मुक्ति के लिए भी, धन, संपत्ति, ऐश्वर्य वैभव प्राप्त हेतु इनके मंत्र की साधना की जा सकती है। सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि बिना दिक्षा के इनके किसी भी मंत्र का जाप, साधना, अनुष्ठान न करें। जय श्री मां बगलामुखी जी।

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